कुछ किरदार दिए हैं शायद खुदा ने
हमें निभाने के लिए
चन्न लम्हे याद रखने के लिए
कुछ ग़म भुलाने के लिए।
खुद से पर्दा किया हुआ है जाने कब से
मालूम नहीं
हम वो नहीं हैं जो हम हैं ज़माने के लिए।
थी बेपरवाही या लापरवाही हमें मालूम नहीं
पर अब बचे ही नहीं कोई रिश्ते निभाने के लिए।
ज़िन्दगी जीने के लिए उसे समझना ज़रूरी नहीं है
पर ज़िन्दगी लग जाती है यह बात समझने और समझाने के लिए
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